BY: एजेंसी
नई दिल्ली: कोरोना को रोकने की प्रशासन की सारी कोशिशों को बावजूद कई जगहों पर नियमों के पालन को लेकर लोग बिल्कुल बेपरवाह नजर आ रहे हैं,जिसकी वजह से राजधानी बड़े हॉट स्पॉट में तबदील होती जा रही है। यानी दिल्ली की इन जगहों पर जाने वालों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। प्रशांत सोनी बता रहे हैं ऐसी 5 जगहों के बारे में, जहां सावधानी हटी, दुर्घटना घटी वाला संदेश शत-प्रतिशत लागू होता हैः
वैसे तो प्रशासन ने सार्वजनिक जगहों पर भीड़ जमा होने से रोकने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन अभी वीकली बाजारों पर रोक नहीं लगाई गई है। यही वजह है कि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में अब भी ये बाजार बदस्तूर लग रहे हैं और उनमें हमेशा की तरह खरीदारी करने के लिए लोगों की भारी भीड़ भी उमड़ रही है। इन बाजारों में न तो सोशल डिस्टेंसिग का ठीक से पालन हो रहा है और ना सही तरीके से मास्क लगाने को लेकर लोग गंभीर नजर आ रहे हैं। ऊपर से इन बाजारों में सब्जी, फल या अन्य सामान बेचने के लिए आने वाले लोग एक-दूसरे से सटकर अपनी दुकानें सजाते हैं। ऐसे में लोग चाहकर भी दूरी बनाकर नहीं रख पाते। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुकानदार मास्क नीचे करके आवाज लगाते हैं, तो वहीं ग्राहकों में से भी कइयों का मास्क नाक या मुंह के नीचे लटका नजर आता है। इन बाजारों में बड़ी तादाद में महिलाएं भी खरीदारी करने जाती हैं और कई बार अपने बच्चों को भी साथ ले जाती हैं। इस वजह से बच्चों के भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। ऐसा नहीं है कि पुलिस या प्रशासन इससे अनभिज्ञ है, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि पुलिस भी किस-किसका चालान काटे और किस-किस को रोके या टोके। ऐसे में वीकली बाजारों में चल रही यह लापरवाही लोगों को बहुत भारी पड़ सकती है। फिर चाहे वह मंगलापुरी का बुध बाजार, कैलाशपुरी शुक्र बाजार, द्वारका सेक्टर-8 का मंगल बाजार हो या, रोहिणी सेक्टर-20 का संडे बाजार, किराड़ी के रमेश एनक्लेव का शनि बाजार, नरेला का मंगल बाजार, मयूर विहार का सोम बाजार, गोकलपुरी का मंगल बाजार, कबूल नगर का शुक्र बाजार हो, हर जगह वीकली बाजारों में ऐसे ही हालात हैं।
कोरोना की वजह से पिछले साल 5 महीने तक बंद रही मेट्रो को जब दोबारा शुरू किया गया, तो सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखने के लिए एक सीट छोड़कर बैठने का नियम बनाया गया। इसके अलावा यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग, बैगेज सैनिटाइजेशन, हैंड सैनिटाइजेशन, मास्क लगाने पर भी काफी जोर दिया गया, लेकिन जैसे-जैसे केसेज कम होते गए, इन नियमों के पालन में भी ढिलाई बरती जाने लगी। अब केसेज बढ़ने के साथ ही सख्ती भी एक बार फिर से बढ़ा दी गई है, लेकिन इसके बावजूद सुबह और शाम के पीक ऑवर्स के दौरान मेट्रो में भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। अभी भी विभिन्न रूटों और कई सेक्शंस पर सुबह और शाम के पीक ऑवर्स के दौरान मेट्रो ट्रेनों में काफी भीड़ नजर आती है और कोच के अंदर लोगों को एक-दूसरे से सटकर खड़े होना पड़ता है। सैनिटाइजेशन, थर्मल स्कैनिंग और सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क को लेकर लापरवाही के बारे में भी डीएमआरसी को रोज सोशल मीडिया के माध्यम से ढेरों कंप्लेंट्स मिल रही हैं। यहां तक कि एक सीट छोड़कर बैठने के नियम का पालन करने में भी लोग गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। इसके अलावा अगर ट्रेन में मेट्रो या सीआईएसएफ का कोई स्टाफ नजर नहीं आ रहा हो, तो लोग चुपचाप से मास्क भी नाक या मुंह के नीचे कर रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी तादाद यंगस्टर्स की होती है। ऐसे में मेट्रो की सवारी के दौरान कोरोना संक्रमण के यात्रियों पर सवार होने का खतरा इन दिनों काफी बढ़ गया है।