BY: RAVI BHUTDA
बालोद: भूपेश सरकार द्वारा धान खरीदी केंद्रों में धान को बारिश व अन्य जीव जंतुओं से बचाने जिले के 69 समिति केंद्रों में 351 चबूतरा का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इस पुरे निर्माण कार्यो को लेकर स्तरहीन कार्य किये जाने की शिकायत लगातार प्राप्त हो रही है। ताजा मामला ग्रामीण यांत्रिकी विभाग बालोद अंतर्गत लाटाबोड़ समिति का है। जहां पर चबूतरा निर्माण कार्य में लापरवाही बरती जा रही है।इस पूरे निर्माण कार्य मे विभागीय इंजीनियर व एसडीओ की देखरेख के बावजूद निर्माण एजेंसी द्वारा स्टीमेट व नियम विपरीत कार्य किया जा रहा है।आपको बता दे की लाटाबोड़ समिति अंतर्गत बन रहे इस कार्य की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत लाटाबोड़ है। जहाँ पर इस निर्माण कार्य में कालम और प्लिंथ बीम के बीच होने वाली ढलाई कार्य को अधूरा छोड़कर ढलाई किया गया। यही नही इस निर्माण कार्य में कालम को बिना ढाले प्लिंथ लेबल के ऊपर ईंटो की जोड़ाई कर दी गई है। जबकि इस पूरे काम मे प्लिंथ में 12 व 16 एमएम की छड़ लगाई जानी है। लेकिन 16 एमएम की छड़ का उपयोग नही किया जा रहा है। कलेक्टर जनमेजय महोबे ने भी इस निर्माण को लेकर सभी अधिकारियों को शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पूरी गुणवत्ता के साथ नियमानुसार कार्यो को निर्धारित समयावधि में पूर्ण कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन जिले के निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कार्य तो विलंब हुआ ही है साथ ही गुणवत्ताहीन कार्य कराए जा रहे है।
जनपद के सामान्य सभा में उठ सकता है मामला-
लाटाबोड़ समिति में बन रहे चबूतरा निर्माण कार्य में प्रशासकीय स्टीमेट के विपरीत बनाये जा रहे इस निर्माण कार्य को लेकर क्षेत्र के कुछ जनपद सदस्यों ने भी आपत्ति की है और अब 17 जुलाई को होने वाली सामान्य प्रशासन की बैठक में यह मुद्दा भी गरमाने की संभावना व्यक्त की जा रही है साथ ही नियम विपरीत किये जा रहे कार्यों जांच को लेकर उच्चाधिकारियों से शिकायत की बात भी सामने आ रही है।
कमीशन के खेल में बिगड़ रहा बजट-
समितियों में बन रहे चबूतरा का निर्माण एजेंसी भले ही ग्राम पंचायत है। लेकिन सूत्रों की माने तो आज बालोद जिले के ज्यादातर ग्राम पंचायतों में चल रहे इस निर्माण कार्य को पंचायत खुद करने के बजाय 8
प्रतिशत कमीशन पर कुछ निजी ठेकेदारों को सौंप दिया हैं। लेकिन इस बीच रेत की आवक नही होने व निर्माण सामग्री के दामो में उछाल के चलते ठेकेदारों का भी बजट बिगड़ गया और काम को जल्द पूरा करने के चक्कर मे गुणवत्ताहीन कार्य किया जा रहा है।