BY: NISHA BAGHEL
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के लिए बड़ी चुनौती की बात हैं कि वह अपने विभाग के रिश्वतखोर ,विवादित अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ सप्रमाण शिकायती पत्र मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं । जिससे ऐसा प्रतीत होती हैं कि राजस्व विभाग में खुलेआम रिश्वतखोरी मंत्री जी के शह पर होते हैं ,शायद यही कारण हैं कि विवादित अधिकारी – कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं ।
बिलासपुर संभाग के ही नहीं बल्कि राज्य भर के राजस्व विभाग की जमीनी कर्मचारियों द्वारा खुलेआम रिश्वतखोरी की जाती हैं और शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अफसर राजस्व विभाग के जमीनी कर्मचारी यानि कि पटवारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं । बिलासपुर संभाग के अतिरिक्त कलेक्टर ने नाम न छापने के शर्त पर हमें कुछ प्रमाण देते हुए बताया कि कोई भी पटवारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण प्राप्त किए बिना गरीब किसानों की बात दूर छोटे – मोटे कार्यो के लिए भी हजार ,पांच सौ रुपये भी रिश्वत के रुप में लिया जा रहा हैं । अनुविभागीय अधिकारियों एवं तहसीलदारों के जेब गर्म करने के लिए पटवारियों को अवैध कमाई करना पड़ रहा हैं । उक्त अधिकारियों के शह पर ही आज शहर से लेकर दूर – दराज ग्रामीण क्षेत्र के पटवारी भी रिश्वत लेते है । इस पटवारी ने बताया कि पटवारियों को महज 30 – 35 हजार रुपये मासिक वेतन मिलते हैं मगर आज 90% प्रतिशत पटवारियों की हर रोज की कमाई कम से कम 30 हजार रुपये सामान्य कमाई हैं जो रिश्वतखोरी से कमाई जा रही हैं । अतिरिक्त कलेक्टर ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार महिला पटवारी ने बताया कि अभी सरकार फसल बीमा पर महत्व दे रहे हैं ।जिस पर भी पटवारी खुलकर कमाई करते हैं । बताया गया है कि हल्का के हिसाब से संबंधित तहसीलदारों के साथ ही अनुविभागीय अधिकारियों को प्रति महिने एक पटवारी कम से कम 50 हजार रुपये केवल मासिक कमीशन के रुप में देते हैं ,अगर पटवारियों की अवैध कमाई न हो तो भी उक्त राशि हर हाल में देना पड़ेगा । ऐसे में पटवारी आज कलेक्टर से भी करोडपति बन चुके हैं । इन्होंने यहां तक बताया कि बिलासपुर संभागीय मुख्यालय के हर एक पटवारी के पास करोड़ों रुपये की अवैध कमाई पूंजी के रुप में ही नहीं बल्कि कई जगहों पर करोड़ों की जमीन खरीद कर रखें गए हैं । जिस तरह से इस पटवारी ने रिश्वतखोरी की मुख्य कारण का खुलासा किया है उससे तो यह कहना गलत नहीं हैं कि पटवारियों के साथ ही अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार पटवारियों के साथ ही राजस्व निरीक्षक के बदौलत करोड़पति बन गए है।
वहीं बिलासपुर संभाग के कुछ पटवारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्रवाई करने पत्र जारी भी हुए तो एक चर्चित पटवारी के यहां तो एंटी करप्शन ब्यूरो ने छापा भी मार चुके हैं मगर एसीबी अब तक उक्त पटवारी के खिलाफ कुछ कार्रवाई नहीं कर पाई । निश्चित रुप से आज उक्त अतिरिक्त कलेक्टर के करीबी रिस्तेदार ने बताया कि महिला पटवारी भी रिश्वतखोरी में फंस रहे हैं मगर इनके मुख्य सूत्रधारों पर कार्रवाई न किया जाना समझ से परे हैं ।
वहीं बिलासपुर संभाग के एक अतिरिक्त कलेक्टर अपने पटवारी रिस्तेदार से मिली जानकारी के अनुसार बताया कि संभाग के एक तहसील कार्यालय में तो तहसीलदार खुलेआम रिश्वत मांगते हैं ।जिसमें महिला तहसील भी पीछे नहीं हैं । यह महिला तहसीलदार को प्रकरणों पर पक्षकारों के वकीलों से प्रकरणों को जल्द निपटाने के लिए खुलेआम रिश्वत मांगते है। इनके अलावा बिलासपुर संभाग के एक पटवारी के यहां एसीबी ने पूर्व में छापा मारकर आय से अधिक सम्पत्ति का प्रकरण का मामला पंजीबद्ध हैं और यह आरोपी पटवारी न केवल पटवारियों का बल्कि तहसीलदारों का सरताज बनकर कार्य कर रहे हैं । जिसे संभाग के एक पूर्व कलेक्टर का संरक्षण प्राप्त होना बताया जा रहा हैं । उक्त पूरे मामले पर छत्तीसगढ़ राज्य अन्वेषण ब्यूरो को सप्रमाण शिकायत होने के बाद भी न जाने क्यों पटवारियों, तहसीलदारों और अनुविभागीय अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं । जिससे लगता हैं कि इन रिश्वतखोर पटवारियों, तहसीलदारों के सामने एसीबी बौने साबित हो रहे हैं ।