BY: विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर (म.प्र.)
हक को साबित करने खुद के , हक के खातिर जिद करो
अंधेरे ही रोशनी दिखलाएंगे , हक के खातिर जिद करो
जीत ही बस लक्ष्य अंतिम , बढ़ते चलो चलते चलो
हार हारेगी जरूर हद से बढ़ कर, हक के खातिर जिद करो
शहीदों की कुर्बानियां देती रहेंगी, हक के लिए वो हौसला
जो जिताएगा हमें हर हाल , हक के खातिर जिद करो
हर बार सहते आए हो , मन मारकर फरमान उनके
जो जीतना है आज बाजी ,हक के खातिर जिद करो
रोते लोगों को हंसाना, है सच्ची इबादत खुदा की
कभी खुद को गुदगुदाओ, हक के खातिर जिद करो …