BY: प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
ॐ त्र्यंम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ: त्रिनेत्र शिव जी को प्रणाम, जो सुगंध से परिपूर्ण हैं और मानव जाति का पालन करते हैं। वे मुझे माया और मृत्यु से बचाएं, जिस तरह पकी हुई ककडी अपनी बेल से स्वत: अलग हो जाती है, ठीक उसी तरह हमें संसार के दुखों और मोह-माया के बंधनों से मुक्ति प्रदान करे।
विधि: संध्याकाल में दीपक जलाकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत भाव से 108, 28 या 11 बार जप करना चाहिए।
लाभ: शरीर स्वस्थ रहता है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
हिन्दी भावानुवाद
द्वारा: प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
सतत शांति सुख वृद्धि हित , शिव को करो प्रणाम
माया ,मृत्यु ,औ” मोह से रक्षक जिनका नाम !!