BY: एजेंसी
नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव अभी बरकरार है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो के फिंगर इलाकों में अभी भी दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी है। हालांकि भारत भी चीन की हरकतों से सतर्क है और अपनी सैन्य क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है। सरकार के सूत्रों के मुताबिक भारतीय नौसेना ने गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दक्षिण चीन सागर में चुपके से अपने एक युद्धपोत की तैनाती कर दी थी।
सूत्रों के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना के युद्धपोत की तत्काल तैनाती का चीनी नौसेना और सुरक्षा व्यवस्था पर वांछित प्रभाव पड़ा, जिसकी वजह से उन्होंने भारतीय पक्ष के साथ राजनयिक स्तर की वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष से शिकायत की। सूत्रों ने बताया कि भारतीय युद्धपोत लगातार वहां मौजूद अमेरिका के युद्धपोतों से लगातार संपर्क बनाए हुए थे। वहीं, नियमित अभ्यास के दौरान, भारतीय युद्धपोत को लगातार अन्य देशों के सैन्य जहाजों की आवाजाही की स्थिति के बारे में अपडेट किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि किसी भी सार्वजनिक चकाचौंध से बचते हुए पूरे मिशन को बहुत ही शानदार तरीके से किया गया था।
इसी दौरान, भारतीय नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास मलक्का स्ट्रेट्स में चीनी नौसेना की गतिविधि पर नजर रखने के लिए अपने फ्रंटलाइन जहाजों को तैनात किया। चीनी नौसेना इसी रास्ते से हिंद महासागर में प्रवेश करती है। सरकार के सूत्रों ने कहा कि भारतीय नौसेना पूर्वी या पश्चिमी मोर्चे पर विरोधियों द्वारा किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम है।
बता दें कि 2009 से कृत्रिम द्वीपों और सैन्य उपस्थिति के माध्यम से अपनी उपस्थिति में काफी विस्तार करने के बाद से चीनी इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना के जहाजों की उपस्थिति पर आपत्ति जताते रहे हैं। बात करें मौजूदा समय की तो दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका के बीच भी लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है और दोनों ही तरफ से यहां कई युद्धपोतों की तैनाती की गई है।