BY: प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
ए १ , शिला कुंज , रामपुर , जबलपुर
आज दुनिया त्रस्त दिखती चीन के व्यवहार से
एंठता जो ज्यादा निरर्थक समझता ना प्यार से
अपनी सीमा तो बढ़ाना चाहता घुसपैठ से
पड़ोसी को लूट लेना चाहता है ऐठ से
वर्षों पहले तुम्हें तिब्बत जिसने छल से मिटाया
धर्मगुरू श्री लामा को और अनेकों को हटाया
आज भी जो यहां पाकर भारत का सहारा
लालसा पाले हैं मन में मिले तिब्बत दुबारा
उठो है तिब्बत निवासी जगत की गति जान के
आज तिब्बत वालों के दुख दर्द सब पहचान के
चाहते यदि देश अपना पुनः सब मिल पा सको
शीघ्र ही तो संगठित हो एकजुट आगे बढ़ो
मन में हो यदि आग तो फिर पाया जाता रास्ता
सदप्रयासों से विजय का है युगों से वास्ता
बताता इतिहास सबको विजय का है कायदा
मन की गहरी भावना हो तो श्रम से मिलता फायदा
पड़ोसी भारत का ही इतिहास जग को सिखाता
त्याग और बलिदान का पथ ही सबों को दिखाता
शांति प्रियता का किया दुष्टों ने नित अपमान है
संगठन और शक्ति से हिल सकती हर चट्टान है
क्यों रहे कोई देश दब के किसी के आधीन हो
तुम तो निजी संस्कृति वाले एक देश प्राचीन हो
देख युग की हवा का रुख यदि प्रबल कोई क्रांति हो
पूर्व के इस क्षेत्र में फिर से शाश्वत शांति हो
आ गया है समय समुचित चीन को ललकारने
सत्ता का निज अधिकार अपना स्वतः बढ़ संभालने