
पिछली सदी के अंतिम दशक में डॉ बालेंदु शेखर ने देश के व्यंग्यकारों का संकलन तैयार किया था । उसके बाद से व्यंग्य विधा लगातार लोकप्रियता प्राप्त करती रही और अनेक व्यंग संकलन प्रकाशित भी होते रहे । हाल ही डॉ राजेश कुमार व डॉ लालित्य ललित द्वारा 21वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकारों का लगभग 600 पृष्ठीय ग्रन्थ , तैयार किया गया । जिसका लोकार्पण अशोक चक्रधर जी द्वारा महात्मा गांधी की 151 वी जयंती के मङ्गल अवसर पर सम्पन्न हुआ ।
इस ऐतिहासिक और संग्रहणीय संकलन में जबलपुर से प्रसिद्ध व्यंग्यकार कबीर सम्मान प्राप्त विवेक रंजन श्रीवास्तव का व्यंग्य भी प्रमुखता से शामिल है । संग्रह के संपादक प्रख्यात रचनाकार और समालोचक प्रोफेसर राजेशकुमार ने संकलन को साहित्य के क्षेत्र में एक उपलब्धि मानते हुए कहा कि साहित्य का कार्य लोगों को आपस में जोड़ना होता है, और यह संकलन दीर्घ जीवी रचनाएँ समेटे हुए विसंगतियों पर प्रहार का अस्त्र निरूपण कर रहा है ।
संकलन के दूसरे संपादक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार और कवि श्री लालित्य ललित ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें व्यंग्य विधा में अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं और न केवल वे अपने व्यंग्य लेखन के माध्यम से बल्कि अन्य लोगों की व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से पाठकों को साहित्य सुख देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले वे दो बड़े संकलन तैयार कर चुके हैं, लेकिन यह संकलन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण और आनंददायक था, क्योंकि इसके माध्यम से उन्होंने साहित्य की गुणवत्ता और साहित्य की क्षमता के बहुत से नए आयाम महसूस किए। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे साहित्य को पाठकों के लिए प्रस्तुत करना आवश्यक और महत्वपूर्ण सेवा है ।
विमोचन करते हुए सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य के कवि अशोक चक्रधर ने कहा कि व्यंग्य ऐसी विधा है जिसमे शोषित के साथ खड़े रहने की सुविधा है । उन्होंने इस संग्रह को ऐतिहासिक बताया व आशा व्यक्त की कि आगे अन्य व्यंग्यकारो को भी शामिल कर इससे भी बड़े संकलन आएंगे । उन्होंने व्यंग्यकारों और प्रकाशन के बीच तालमेल हेतु सम्पादक मण्डल की मुक्त कंठ प्रशसा की ।
प्रलेक प्रकाशन समूह, मुम्बई, महाराष्ट्र के युवा निदेशक श्री जीतेंद्र पात्रों ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह के संकलन को प्रकाशित करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, क्योंकि इसे असाधारण रूप से बहुत कम समय में तैयार करके प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि संकलन के बड़े उद्देश्य को देखते हुए उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और इसे पाठकों के लिए इतने कम समय में और इतने गुणवत्तापूर्ण ढंग से तथा मुनासिब कीमत पर पेश करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह संकलन लोगों में व्यंग्य को समझने और उसके आस्वादन की महत्वपूर्ण कमी को पूरा करेगा।
भारत के प्रदेशों के चयनित व्यंग्यकारों का लेखा-जोखा बताते हुए श्री जितेंद्र पात्रो ने बताया कि इस संचयन में मध्य प्रदेश से 36, उत्तर प्रदेश से 22, राजस्थान से 16, राजधानी दिल्ली से 12, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से 10 प्रत्येक, उत्तराखंड से 4, हिमाचल प्रदेश और बिहार से 3 प्रत्येक, पंजाब और झारखंड से 2 प्रत्येक, तथा पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, चंडीगढ़, जम्मू, तमिलनाडु, और तेलंगाना से 1 प्रत्येक सम्मिलित किए गए हैं। इसके साथ ही कनाडा से 3, तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यू ज़ीलैंड से 1 प्रत्येक, व्यंग्यकारों को संचयन में स्थान मिला है।
लोकार्पण कार्यक्रम में देश-विदेश से लगभग 150 लेखकों ने भागीदारी की।