
BY: एजेंसी
नई दिल्ली: काकेकस क्षेत्र के दो देशों आर्मीनिया और अजरबैजान में 27 सितंबर से नागोरनो-काराबाख इलाके को लेकर जंग जारी है. इसमें अजरबैजान की क्रूरता सामने आ रही है। दुनियाभर में प्रतिबंधित कलस्टर बमों का अजरबैजान की सेना इस्तेमाल कर रही है और यही नहीं नागरिकों की रिहाइश वाले इलाके में कई बम गिराए गए हैं। अब तक कम से कम 266 लोग इस जंग में मारे गए हैं जिसमें 45 आम नागरिक शामिल हैं।
अजरबैजान के अधिकारियों ने अभी अपने सैनिकों के मारे जाने का ब्योरा नहीं दिया है। हालांकि उसने बताया कि अब तक 25 आम नागरिक मारे गए हैं और 127 अन्य घायल हो गए हैं। बता दें कि दुनिया के 109 देशों ने कई साल तक नुकसान पहुंचाने वाले क्लस्टर बम के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। अभी तक न तो आर्मीनिया और न ही अजरबैजान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में अजरबैजान के क्लस्टर बम से आने वाले समय में गलती से बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे जाएंगे। बताया जा रहा है कि अजरबैजान को हथियारों की आपूर्ति इजरायल और तुर्की कर रहे हैं।
नागोरनो-काराबाख इलाके में मौजूद पश्चिमी पत्रकारों ने इसकी पुष्टि की है कि अजरबैजान की सेना बेहद घातक क्लस्टर बमों का इस्तेमाल कर रही है। इन बमों में से निकले बिना फटे छोटे-छोटे बम नागोरनो-काराबाख की राजधानी स्टेपनकर्ट में बिखरे देखे जा सकते हैं। नागोरनो-काराबाख के अधिकारियों का कहना है कि इस जंग में उसके अब तक 220 सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं आर्मीनिया सरकार का दावा है कि 21 आम नागरिक अजरबैजान के हमले में मारे गए हैं और 82 अन्य बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
आर्मीनिया का कहना है कि अजरबैजान के सैनिक तोपों और रॉकेट से स्टेपनकर्ट को निशाना बना रहे हैं। उधर, अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि आर्मीनियाई सुरक्षा बल उसके गांजा शहर को निशाना बनाने के बाद अब तीन अन्य कस्बों में बमबारी कर रहे हैं। तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बाद भी दोनों में से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा है। स्टेपनकर्ट में करीब 50 हजार लोग रहते हैं और यह शहर भारी बमबारी से धुएं और राख से भरता जा रहा है। सड़कों पर रॉकेट और क्लस्टर बम पडे़ हैं। आम नागरिकों को जमीन के अंदर बने शेल्टर के अंदर अपनी जिंदगी बितानी पड़ रही है।
नागोरनो-काराबाख में तनाव के बीच तुर्की ने आर्मीनिया को धमकी दी है कि दुनिया हमारी दहाड़ को सुनेगी। इस धमकी के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान की जंग में रूस और तुर्की के इसमें कूदने का खतरा पैदा हो गया है। रूस जहां आर्मीनिया का समर्थन कर रहा है, वहीं अजरबैजान के साथ नाटो देश तुर्की और इजरायल है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मेनिया और रूस में रक्षा संधि है और अगर अजरबैजान के ये हमले आर्मेनिया की सरजमीं पर होते हैं तो रूस को मोर्चा संभालने के लिए आना पड़ सकता है। आर्मीनिया में रूस का सैन्य अड्डा भी है। इस युद्ध में अगर परमाणु हथियारों से लैस सुपरपावर रूस आता है तो महायुद्ध का खतरा पैदा हो सकता है। फ्रांस भी खुलकर आर्मीनिया के समर्थन में आ गया है।