BY: RAVI BHUTDA
बालोद: गोधन न्याय योजनान्तर्गत गोमूत्र से अर्क एवं औषधीय पेय व फिनाईल निर्माण का कार्य प्रारंभ श्री जन्मजेय महोबे, आई.ए.एस कलेक्टर, जिला बालोद, के मार्गदर्शन में गोधन न्याय योजनान्तर्गत गौठानों को मल्टी यूटिलिटी सेन्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है । इसी श्रृंखला में गोमूत्र से निर्मित किये जाने वाले पदार्थों का निर्माण एवे विक्रय प्रारंभ किया गया है । देसी गाय का गौमूत्र बैक्टीरिया नाशक एवं औषधीय गुणों से भरपूर होता है, हिन्दू धर्म के शास्त्रों एवं पुराणों में वर्णन अनुसार, गाय का महत्व कृषि, सुपोषण, औषधि एवं अन्य उपयोग हेतु सर्वविदित है । विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज गौमूत्र का उपयोग
कर किया जाता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुये उज्जवला महिला स्व सहायता समूह ग्राम अरमरीकला, की समस्त 11 महिलाओं ने कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर देसी गाय के गौमूत्र से अर्क निकालने का कार्य प्रारंभ किया, जिसकी कीमत बाजार में 200 से 300 रुपये प्रति लीटर है। गौमूत्र का प्रसंकरण कर महिला समूह द्वारा गौमूत्र का अर्क निकाला जा रहा है एवं बैक्टीरिया नाशक होने के कारण महिला समूह द्वारा गौमूत्र अर्क का प्रयोग फिनाइल बनाने में किया जा रहा है। आयुर्वेद में गोमूत्र चिकित्सा (काउयूरीन थिरेपी) के अन्तर्गत खाली पेट 15 से 20 मिली गौमूत्र का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके प्रयोग से लीवर, किडनी, पीलिया एवं पाचन की समस्या दूर होती हैं यहां तक कैंसर के कारक भी नष्ट होते हैं। आयुर्वेद चिकित्सक, विशेषज्ञों से सलाह लेकर इस कार्य को नई दिशा दी जावेगी । प्रारंभिक तौर पर ग्राम अरमरीकला की महिला समूह द्वारा केवल देसी
गाय के गौमूत्र के ही उपयोग से फिनाइल का निर्माण किया जा रहा है एवं विकासखण्ड के अन्य महिला समूहों को भी गौमूत्र अर्क की पूर्ति मांग अनुसार किया जायेगा। आदिकाल से गोबर, गोमूत्र को पवित्र पदार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है । घरों में गौमूत्र से बने फिनाइल से पोछा लगाया जाता है, जिससे मच्छर, चींटी, मक्खी, और कई बैक्टीरिया, फंजाई, वायरस सहित अन्य रोग जनको का नाश होता है। देसी गाय के गौमूत्र, गोबर, दूध, दही एवं घी मिलाकर पंचगव्य बनाया जाता है, जिसे महाऔषधि भी कहते है, जिसे जैविक खेती में उपयोग किया जा रहा है ।
एक्सटेंशन रिफार्स (आत्मा) योजनान्तर्गत श्रेष्ठ देशी गौ पंचगव्य अनुसंधान संस्थान गौसेवा केन्द्र अमलेश्वर, रायपुर से प्रशिक्षित श्री जे.एस. सेंगर, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, विकासखंड गुरूर, कृषि विभागीय अमले एवं कृषकों द्वारा पूर्व में फिनाईल निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है । इस उत्पाद की मांग एवं महत्व को दृष्टिगत रखते हुए गोधन न्याय योजना के अनतर्गत वृहद स्तर पर फिनाईल निर्माण हेतु अर्क तैयार करने वाली मशीन की आवश्यकता थी । जिस मशीन को विकासखंड स्तर पर उपलब्ध कराया गया है, श्री नागेश्वर लाल पाण्डे, उप संचालक कृषि, जिला बालोद ने कृषकों से चर्चा करके गोमूत्र से निर्मित पदार्थों के महत्व के संबंध में जानकारी दी है । उपयोग करके अर्क निर्माण प्रारंभ करने से अब स्वसहायता समूह की महिलाओं को अर्क हेतु अन्य संस्था पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा एवं स्वावलंबी होकर स्वयं फिनाईल एवं औषधीय पेय तैयार कर सकेंगे।
ग्राम पंचायत कर्रेझर के गौठान से जुड़े हुए ग्राम पेटेचुआ कंकालीन के सौभाग्य महिला कृषक अभिरुचि समूह की महिलायें भी गौमूत्र अर्क बना कर उचित दर पर अन्य समूहों को भी पूर्ति करेंगी। शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा,गरूवा,घुरूवा,बाड़ी एवं गोधन न्याय योजना के अन्तर्गत मल्टी यूटिलिटी गतिविधियों के अन्तर्गत यह कार्य कृषकों के आया के स्त्रोत बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा एवं आज के रासायनिक वस्तुओं के होने वाले दुष्प्रभाव को कम करके जैविक पदार्थों के उपयोग के प्रोत्साहन में कृषकों के लिए लाभदायी होगा।