BY: एजेंसी
नई दिल्ली: आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के तीन नेताओं की हत्या कर दी। आतंकियों ने बीजेपी नेताओं की कार पर पर उस वक्त हमला किया जब वे अपने घर जा जा रहे थे। गोली लगने से तीनों बीजेपी नेताओं की मौत हो गई। इस बीच आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली। गुरुवार को ही सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में पंपोर निवासी इशफाक अहमद डार दो ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार हुआ जो टीआरएफ का आतंकी है।
इस वर्ष मार्च महीने में दो नए आतंकी संगठन का गठन हुआ जिनमें एक टीआरएफ और दूसरा तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी (टीएमआई) है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, टीआरएफ पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा का ही फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हर साल मार्च-अप्रैल के बीच इस तरह के नए संगठन सामने आते हैं जो कुछ ही महीनों में फिर गायब हो जाते हैं। यह संगठन कोई नए आतंकी संगठन नहीं होते बल्कि जो मौजूदा आतंकी संगठन हैं, उनके ही लोग अलग-अलग नाम से ग्रुप बना लेते हैं। इनका मकसद दूसरे आतंकी संगठनों के लोगों को तोड़कर अपने साथ शामिल करना होता है।डार ने बताया कि वह आतंकी संगठन टीआरएफ के साथ जुड़ा हुआ है। ग्रेनेड हमले के लिए वह इस इलाके में आया हुआ था। पूछताछ में पता चला कि वह कुछ समय पहले पुलवामा में हुए ग्रेनेड हमलों में शामिल था। वह इलाके के युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर लाने का काम कर रहा है। वह युवाओं को लालच देकर उनसे ग्रेनेड हमले कवाता था जिससे सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया जा सके। इस तरह से वह कई इलाकों में हमले करवा चुका है।
उन्होंने कहा कि ये अलग-अलग नाम से इसलिए भी आते हैं कि नया संगठन होता है तो नया जोश दिखता है, लेकिन असल में यह सब ड्रामा है। उन्होंने कहा कि लश्कर के लोगों ने ही ये संगठन बनाया है ताकि हिजबुल के आंतकियों को अपने साथ ला सकें। सिक्यॉरिटी एजेंसी का मानना है कि अभी भी कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद ये तीनों आतंकी संगठन ही हैं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इन्हें फंडिंग कर रही है। बहरहाल, अस्तित्व में आते ही टीआरएफ ने कुछ बयान जारी कर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को चुनौती दी थी। 24 अप्रैल को आतंकियों ने अनंतनाग से जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सिपाही को अगवा किया था, जिसे सुरक्षा बलों ने छुड़ा लिया और इसमें दो आतंकी ढेर हुए। इसके बाद टीआरएफ ने बयान जारी किया। उसने कहा, ‘कुछ दिन पहले हमने हिजबुल को चेतावनी दी थी कि कश्मीरी पुलिस वालों और सिविलियंस को मारना बंद करें। उन्होंने फिर एक जम्मू-कश्मीर पुलिस वाले को किडनैप किया।’ इसमें कहा गया कि हिजबुल को यह समझना चाहिए कि हमारी लड़ाई सेना से है न कि कश्मीरियों से। हम इन लोगों के सपॉर्ट के बिना सेना से नहीं लड़ सकते। इसी बयान में यह भी बताया गया कि हिजबुल का एक कमांडर अब टीआरएफ में शामिल हो गया है। साथ ही कहा कि अगर हिजबुल ने कश्मीरी पुलिस और लोगों को मारना बंद नहीं किया तो अब वॉर्निंग नहीं दिया जाएगा, सीधे ऐक्शन लिया जाएगा।
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर के लोग पाकिस्तानी और पाकिस्तान समर्थक आतंकियों से ऊब चुके थे और इसलिए वह उनकी जानकारी भी साझा करने लगे थे। अब आतंक की राह पर गए स्थानीय युवा भी विदेशी आतंकियों की हरकतों से परेशान हैं। साथ ही आतंकी संगठनों की अलग-अलग विचारधारा और उसका टकराव उनके बीच बड़ी जंग में तब्दील हो रहा है। जून 2019 में अनंतनाग के बिजबेहारा में रात को आतंकियों के बीच हुई लड़ाई में एक आतंकी मारा गया और जबकि एक घायल हुआ जिसे सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया।
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तयैबा के आतंकियों ने इस्लामिक स्टेट हिंदू प्रोविंस के आतंकी पर हमला किया। यह आतंकी संगठनों के बीच विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही विदेशी आतंकी और प्रो-पाकिस्तानी आतंकियों की हरकतों से लोकल आतंकी परेशान भी हैं। सूत्रों के मुताबिक, आईएसएचपी और एजीएच के आतंकी इस्लामिक स्टेट बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और पूरी तरह से इस्लाम को फॉलो करने की बात करते हैं, पांच वक्त नमाज पढ़ते हैं। इसमें सभी लोकल आतंकवादी हैं जिन्हें लोकल लोगों से सहानुभूति भी मिल जाती है। हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर दोनों संगठन प्रो-पाकिस्तानी हैं और कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने की बात करते हैं। दोनों के बीच इस विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही हिजबुल और लश्कर के विदेशी आतंकी कश्मीर में आम लोगों के साथ ज्यादती भी करते हैं, खासकर महिलाओं के साथ। वह किसी भी घर में घुसकर महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं जिससे लोकल आतंकी भी उनकी हरकतों के खिलाफ हैं और अब इसका मुखर विरोध भी करने लगे हैं। प्रो-पाकिस्तानी आतंकी संगठन से कई आतंकी आईएसएचपी और एजीएच में शामिल हुए हैं क्योंकि वह कश्मीरी महिलाओं की इज्जत न करने वाले विदेशी आतंकियों के खिलाफ हैं।