नई दिल्ली : हिंदुस्तान में हर रोज बेलगाम बढ़ रहे अपराधों की वजह से, हर इंसान के मन मे ये सवाल जरूर आता है, कि आखिर क्यों अपराध इतने बेहिसाब तरीके से बढ़ रहे है और न्याय मिलने की रफ्तार दिन प्रतिदिन धीमी क्यों हो रही? एन-जे-डी-जी (नेशनल ज्यूडिशल डाटा ग्रिड) की माने तो हमारे देश की कोर्टों में 4 करोड़ से अधिक केस लंबित है। भारत में 2019 के अंत तक हर एक लाख भारतीयों पर 241.2 अपराध दर्ज किए गए हैं तो अगर पूरे देश का अपराध रेट निकाला जाए, तो पूरे साल में भारत में 3253700 अपराध दर्ज किए जाते हैं ,जो कि एक चिंता का विषय है। पर ये बातें सिर्फ बातों में रह जाती है क्योंकि जो असल वजह है ,उस पर कोई बात नही करता। और वजह है अपराधों की जांच में सही तरीको का इस्तेमाल न करना और इसी वजह से जांच सालो साल चलती रहती है और अपराधी के इरादों को मजबूती मिलती रहती है। कई बार अपराध करने पर भी अपराधी आसानी से आजाद हो जाता है क्योंकि सही समय पर सही सबूत नहीं मिल पाता ।
- भारतीय न्यायिक प्रणाली की दक्षता पर लोगों की प्रतिक्रिया:
ग्लोबल साइंटिफिक जर्नल के द्वारा किए गए सर्वे से यह पता चला की मात्र 18% लोग ही यह मानते हैं कि भारतीय न्याय व्यवस्था से न्याय प्राप्त होता है और सिर्फ 17% लोग यह मानते हैं कि भारतीय न्याय व्यवस्था सही समय पर न्याय प्रदान करती है।
- आखिर कहां है कमी?
ये सब इसीलिए हो रहा कि हम सबसे महत्वपूर्ण तरीके को लगातार नज़रअंदाज़ कर रहे , और वो है ” फॉरेंसिक साइंस “.. एक ऐसा तरीका जिससे हम सटीक और एक सही तरीके से किसी भी अपराध की जांच कर सकते है और इससे अपराधी को पकड़ने और दंड देने के प्रतिशत में बहुत इजाफा होता है। रेंसिक साइंस की मदद से बहुत रहस्यमयी और जघन्य अपराधों को सुलझाने में मदद मिल चुकी है। “फॉरेंसिक साइंस ” बाल से खाल निकालने ” की कहावत को सार्थक करता है। “
- फॉरेंसिक विज्ञान के छात्रों को नौकरी ना मिलने से देश को नुकसान:
फॉरेंसिक विद्यार्थियों को फॉरेंसिक लैब या पुलिस स्टेशन में नियुक्त ना किए जाने की वजह से घटनास्थल पर साइंटिफिक जांच नहीं हो पाती है, अंततः जिसका परिणाम यह होता है कि सबूतों की पूर्ण रूप से जांच नहीं हो पाती या फिर जरूरी सबूत कोर्ट तक नहीं पहुंच पाते। जिसकी वजह से भारतीय न्यायालयों में केस लंबे समय तक चलते रहते हैं।