BY: एजेंसी
- शाह से मिलने पहुंचे तोमर और गोयल
- दिल्ली सीमा सील होने से नोएडा उद्योग संकट में
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच पर निकले किसान सातवें दिन उग्र हो गए हैं। दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों ने बैरिकेड्स गिरा दिए हैं। वे दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर अड़े हैं। सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक शुरू हो चुकी है। इस बैठक में मुख्य 32 संगठन मौजूद हैं, ये लोग आगे आंदोलन की आगे की रणनीति बना रहे हैं। बुधवार सुबह गाजियाबाद के यूपी गेट पर एक बार फिर किसानों ने दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ दिया। नोएडा लिंक रोड के पास चिल्ला बॉर्डर आज बंद रहेगा क्योंकि किसान गौतमबुद्ध द्वार तक पहुंच गए हैं। लोगों को यह सलाह दी गई है कि नोएड लिंक रोड की ओर से नोएडा न जाएं, इसकी जगह एनएच 24 और डीएनडी होकर नोएडा जाएं।
मंगलवार को सिंधु और टिकरी बॉर्डर के साथ-साथ नोएडा चिल्ला बॉर्डर को भी सील कर दिया गया। चिल्ला बॉर्डर की ओर से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठन के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच बातचीत हुई, लेकिन इसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब तीन दिसंबर को एक बार फिर वार्ता होगी। पुलिस प्रशासन से किसानों की वार्ता के बाद दिल्ली की तरफ से आने वाला रास्ता खोलने को किसान राजी हो गए लेकिन फिर इसी बात को लेकर प्रदर्शनकारी दो गुटों में बंट गए। इससे दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर विवाद शुरू हो गया। किसान बोले या तो बॉर्डर खुलवाओ नहीं तो यहीं पूरा रास्ता बंद करके बैठेंगे। उन्होंने आगे कहा कि या तो दिल्ली जाएंगे या बॉर्डर पूरी तरह बंद करके बैठेंगे। इस बीच किसानों ने बैरिकेड तोड़ने का प्रयास किया और फिर महामाया फ्लाईओवर के नीचे सड़क पर सैकड़ों किसान बैठ गए। कुछ देर बाद पुलिस ने कुछ किसानों को हिरासत में ले लिया।
किसानों के आंदोलन को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेर रहा है। ऐसे ही आज त्रिणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने कहा कि आंदोलनरत किसान कृषि कानून वापस लेने पर अड़े हुए हैं। मुझे लगता है कि सरकार को इसे वापस लेना पड़ेगा। इन कानूनों का अंतरराष्ट्रीय असर भी होगा। मैंने कल समाचार में देखा था कि कनाडा के पीएम ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।
दिल्ली से नोएडा जाने वाले चिल्ला बॉर्डर के सील होने के कारण ट्रैफिक जाम न लगे इसके लिए ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं।
किसानों के आंदोलन की वजह से दिल्ली आने-जाने वाले प्रवेश मार्ग जैसे गाजीपुर बॉर्डर, यूपी गेट, चिल्ला बॉर्डर जैसी जगहों पर आवाजाही में बाधा पहुंची है। नोएडा के उद्योग कच्चे माल एवं मशीनी उपकरण के लिए काफी हद तक दिल्ली पर निर्भर हैं। आंदोलन की वजह से उद्यमी बॉर्डर से अपना माल भेजने में सशंकित हैं, जिसका असर उद्योगों पर पड़ने की संभावना है।- कुलमनी गुप्ता, चेयरमैन, आईआईए नोएडा चैप्टर।
केंद्र सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए यूपी गेट पर प्रदर्शनरत किसानों ने बुधवार सुबह हवन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उनकी मंशा है कि इस हवन से सरकार होश में आए और उनकी मांगें मानते हुए कृषि कानूनों को वापस ले ले। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मनोज चौधरी के नाम की घोषणा सुनी तो वह भड़क उठे और उनका विरोध करने लगे। किसानों का कहना है कि, हमें किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं चाहिए। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर वार्ता के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पियूष गोयल अमित शाह के निवास पर पहुंचे हैं। नोएडा दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे कुछ किसान वॉकी टॉकी के साथ देखे जा सकते हैं। दरअसल किसान यूनियन ने कुछ नौजवान किसानों को आसपास की व्यवस्था संभालने के लिए वॉकी-टॉकी दिए हुए हैं ताकि आंदोलन में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
राष्ट्रीय लोक दल(आरएलडी) के नेता जयंत चौधरी आज सुबह सिंघु बॉर्डर पहुंचे हैं। उन्होंने यहां पहुंचकर कहा- आंदोलन में बतौर राजनीतिज्ञ शामिल नहीं हो रहा हूं। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर बैठे किसानों से वार्ता के लिए सुबह करीब 11.00 बजे ग्रेटर नोएडा के डीसीपी राजेश कुमार सिंह पहुंचे। उन्होंने किसानों से एक तरफ का रास्ता खोलने का आग्रह किया। इस पर किसान यूनियन के पदाधिकारी बोले, हम खुद नहीं रुके बॉर्डर पर हमें रोका गया है। हमें दिल्ली जाने दें। इस पर डीसीपी ग्रेटर नोएडा राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जनता की परेशानी भी समझें, पार्क में पुलिस प्रशासन किसानों के बैठने का पूरा इंतजाम करेगा। इन सब बातों के बाद भी किसान सड़क से हटने को तैयार नहीं हुए और दिल्ली जाने पर डटे रहे। किसानों ने पुलिस से दो टूक बात कही कि, रास्ते हमने बंद नहीं किए हैं। दिल्ली जाने का रास्ता खोल दें हम जाने को तैयार हैं और इसके बाद किसानों ने रास्ते से हटने से मना कर दिया। कांग्रेस पार्टी और उसके नेता लगातार किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार को ट्विटर के माध्यम से घेरे हुए हैं। बुधवार को एक बार फिर राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया है.