BY: DURGA PAL
मुंगेली : विवाह होने के पश्चात् जब नया घर बसाया जाता हैं तो इसके लिए अनेक जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता हैं। विवाह के पश्चात् जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी आती हैं, वह यह हैं कि पैसे का आवक, जिससे घर चल सके। यदि पैसे की समस्या होती हैं तो घर में कलह का वातावरण बनता हैं, जिससे घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। मुक बधिर दिव्यांग शिव कुमार आडिले ग्राम डोमनपुर, पोस्ट-दशरंगपुर, तहसील व जिला-मुंगेली के विवाह की आयु हुई तो घर वाले उन्हें विवाह करने के लिए कहने लगे। यहां तक की शिव कुमार आडिले के लिए एक अस्थि बाधित दिव्यांग लड़की कुमारी परसकिला, ग्राम भेदली, पोस्ट-सोनपुरी, तहसील-कवर्धा, जिला-कबीरधाम का चयन कर लिया गया, किन्तु शिव कुमार आडिले विवाह के लिए तैयार नहीं थे। क्योकि उनके समक्ष यह समस्या थी कि विवाह के पश्चात् वह अपने पत्नी का पालन-पोषण कैसे करेगा, चॅूकि वह स्वयं दिव्यांग हैं एवं उसके पास आय का कोई स्त्रोंत नहीं हैं ? घर वाले विवाह करने के लिए उस पर लगातार दबाव बनाते जा रहे थे, किन्तु वह विवाह के लिए मनाही करने के लिए मजबुर था। अब शिव कुमार आडिले इस उधेड़बुन में था कि यदि वह माता-पिता की बात नहीं मानता हैं तो यह नाफरमानी होगी और यदि विवाह कर लेता हैं तो अपनी पत्नी को वह कहां से खाना खिलायेगा। इस चिंता में डुबे हुए वह अपने घर में चुप-चाप बैठा हुआ था, तभी गांव का सचिव उससे मिलने आया और उसे शादी का मुबारकबाद दिया। तब शिव कुमार आडिले ने अपनी सभी समस्या से सचिव को अवगत कराया। सचिव ने शिव कुमार आडिले को समझाते हुए बताया कि यदि वह विवाह करता हैं तो जिला कार्यालय उप संचालक समाज कल्याण विभाग, जिला-मुंगेली उसे राज्य शासन की दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन राशि के रूप में 50 हजार रूपये का अनुदान दिया जायेगा। यह जानकारी प्राप्त होने के पश्चात् शिव कुमार आडिले खुशी से झुमने लगा और तुरन्त ही अपने माता-पिता को विवाह के लिए हामी भर दिया। दोनों का विवाह उपरांत समाज कल्याण विभाग द्वारा उन्हें 1 लाख रूपये का अनुदान दिया गया। उस पैसे से शिव कुमार आडिले गांव में ही एक छोटा सा किराना दुकान खोल लिया जिसे दोनों पति-पत्नी मिलकर चलाते हैं। आज वो दोनों आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ें हैं। अब उनके जीवन संवर गया है। उन्होने अपने सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए समाज कल्याण विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद और साधुवाद दिया है।