BY:एजेंसी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक रविवार की सुबह दिल्ली स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचने की खबर आई. बिना किसी सुरक्षा तामझाम के प्रधानमंत्री मोदी अचानक वहां पहुंचे. उनके वहां जाने के लिए ट्रैफिक भी नहीं रोका गया जो आमतौर पर होता है. यहाँ तक की उनके पहुंचने की पूर्व सूचना गुरुद्वारा प्रबंधन को भी नहीं दी गई थी. गुरुद्वारा पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए अपने बीच रविवार सुबह-सुबह प्रधानमंत्री मोदी को पाना एक सुखद आश्चर्य से कम नहीं था. बाद में जो तस्वीरें आईं उसमें साफ दिखा कि कैसे कई श्रद्धालु प्रधानमंत्री मोदी के मत्था टेकते समय आराम से अपने मोबाइल से फोटो खींच रहे हैं और गुरुद्वारे की सीढ़ियों पर उनके साथ सेल्फी ले रहे हैं. प्रधानमंत्री ने मत्था टेकने के बाद कुछ मिनट रुक ग्रंथी तथा अन्य उपस्थित लोगों से बातचीत की. वह सहज और सामान्य दिखे. बातचीत के दौरान उन्होंने कई बार दोनों हाथ जोड़ कर विनम्र भाव से उपस्थित श्रद्धालुओं का अभिवादन किया. बाद में उन्होंने ट्वीट कर गुरु तेगबहादुर को श्रद्धांजलि दी और इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि उनकी सरकार के दौरान ही गुरुजी का 400 वां प्रकाश पर्व मनाने का अवसर मिला है.

आज सुबह उनका गुरुद्वारा रकाबगंज जाना एक गहरा संदेश देता है. इसी जगह पर सिखों के नवें गुरु तेगबहादुरजी का अंतिम संस्कार किया गया था. उनकी तत्कालीन शासक औरंगजेब के आदेश पर हत्या कर दी गई थी। उन्होंने हिन्दू-सिख एकता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह सर्वोच्च बलिदान था। उनकी वीरता की गाथा आज भी गाई जाती है। पीएम मोदी ने यहां मत्था टेका। गुरु ग्रंथ साहिब कहता है कि जो भी गुरुदारे पर शीश झुकाए वह गुरु भाई होता है। इस तरह पीएम पंजाब के सिखों और खासतौर से सिख किसानों को एक बड़ा संदेश दे कर आए कि वे उनकी तकलीफों और दुखदर्द में बराबर के साथ हैं और वे उन पर विश्वास कर सकते हैं। यह संदेश उन ताकतों को भी है जो इस आंदोलन को हिन्दू बनाम सिख करने की कोशिश में जुटी हैं और वह संदेश यह है कि उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। एक संदेश उन असामाजिक तत्वों को भी है जो विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के मरने की कामना करते हैं या फिर क्रेन से उनके पुतले को लटका कर फांसी देते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की इस संक्षिप्त यात्रा में कई संदेश छिपे हैं. वे ऐसे समय गुरुद्वारा रकाबगंज गए जब वहां से कुछ ही किलोमीटर दूर दिल्ली की सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर पंजाब से आए हजारों किसान प्रदर्शनकारी कड़कड़ाती ठंड में पिछले 20 से भी ज्यादा दिनों से डेरा डाले बैठे हैं. इनमें अधिकांश सिख किसान हैं जिन्हें अपनी फसल की वाजिब कीमत न मिलने और खेती की जमीन छिनने का डर सता रहा है. सरकार से अब उनकी बातचीत बंद है. इस प्रदर्शन के दौरान अत्यधिक ठंड से कई किसानों की मृत्यु हो चुकी है. एक ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या भी कर ली. किसान अड़े हैं कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. सरकार संशोधन की पेशकश कर चुकी है. इस बीच सरकार ने दूसरे राज्यों के किसानों तक इन कानूनों का फायदा पहुंचाने के लिए व्यापक अभियान चलाया है. इसी अभियान के तहत शुक्रवार को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस संबोधन में दो बार हाथ जोड़े और किसानों से कहा कि अगर किसी को भी इन कानूनों के बारे में कोई चिंता है तो वे हाथ जोड़ कर और सिर झुका कर पूरी विनम्रता से कह रहे हैं कि वे इस पर चर्चा के लिए तैयार हैं और उनकी आशंकाओं को दूर करेंगे.