BY: RAVI BHUTDA
बालोद: श्रीमती रितु चंद्राकर ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से समाजशास्त्र विषय में शोध कार्य सम्पन्न किया। उनके शोध का विषय खुले में शौचमुक्त तथा शौचयुक्त ग्रामों में परिवर्तन का तुलनात्मक अध्ययन (राजनांदगांव जिले के विशेष संदर्भ में) है। उन्होंने अपना शोध कार्य शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग की डॉ. सपना शर्मा सारस्वत, सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र के निर्देशन में पूर्ण किया। श्रीमती रितु चंद्राकर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौचमुक्त अभियान से संबंधित शोध अध्ययन की मात्रा नहीं के बराबर थी। अतः उन्होंने महसूस किया कि स्वच्छता को व्यापक बनाने एवं सभी व्यक्ति के लिए शौचालय निर्माण हेतु किए गए प्रयासों का व्यापक अध्ययन व विश्लेषण किया जाए। उन्होंने लोगों की सदियों पुरानी खुले में शौच करने की आदत को छुड़ाने हेतु किए गए सामाजिक एवं शासकीय प्रयासों का समाजशास्त्री परिपेक्ष्य में क्रमिक अध्ययन कर ग्रामीण क्षेत्रो में स्वच्छता संबंधी आदतों में हुए परिवर्तन तथा इसके फलस्वरूप लोगों के स्वास्थ्य में हुए सुधार के मध्य प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने का प्रयास किया। शोध में उन्होंने शौचमुक्त ग्रामों में सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन के साथ महिला सशक्तिकरण पर भी प्रकाश डाला है। उनका यह शोध खुले में शौचमुक्त ग्राम को स्थायित्व प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध होगा। श्रीमती रितु चंद्राकर के अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। श्रीमती रितु चंद्राकर प्रारंभ से ही मेघावी रही है। उन्होंने यूजीसी नेट तथा सेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। श्रीमती रितु चंद्राकर ग्राम खप्परवाड़ा निवासी वीरेंद्र सिंह चंद्राकर एवं श्रीमती हेमलता चंद्राकर की पुत्री है। श्रीमती रितु चंद्राकर बालोद जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर की धर्मपत्नी है। डॉक्टर की उपाधि प्राप्त करने पर उनको समस्त परिवारजनों एवं मित्रगणों ने शुभकामनाएँ दी है।

