BY: RAVI BHUTDA
बालोद: गौपालन को आर्थिक रूप से लाभदायी बनाने और खुले में पशु चराने की प्रथा रोकने के लिए भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना पशुपालको के वरदान साबित हो रही हैं। राज्य सरकार ने सड़कों और शहरों को आवारा पशुओं से बचाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए गोधन न्याय योजना शुरू की थी। पिछले दो साल में छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरूवा अऊ बाड़ी के माध्यम से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने चारों चिन्हारियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। जिले में भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना पशुपालको के लिए मददगार साबित हो रही है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण हितग्राही जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे है। गोधन न्याय योजना की शुरुआत से लेकर अब तक जिला प्रशासन ने 2 करोड़ 70 लाख 36 हजार रुपये की गोबर खरीदी की हैं। गोधन न्याय योजना की शुरुआत से लेकर अब तक जिले में 158 गौठानो में कुल 6 हजार 517 पशुपालको से 1 लाख 35 हजार 180 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिसकी कुल राशि 2 करोड़ 70 लाख 36 हजार रुपये हैं। इतना ही नही पशुपालको को 15 दिसंबर तक 2 करोड़ 25 लाख रुपये का भुगतान उनके सीधे बैंक खाते में कर दिया गया है। जिसकी वजह पशुपालको के चेहरों पर खुशी दौड़ पड़ी है। जिले की महिलाएं भी इस योजना से जुड़कर स्वालंबी बन रही है। गोबर व गौमूत्र से विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार किये जा रहे है। वही गोधन न्याय योजना अंतर्गत 2500 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट भी निर्मित किये गए है और 1 हजार से अधिक खाद्य का विक्रय भी किया जा चुका है।

सड़को पर आवारा पशुओं के झुंड दिखना हुआ कम:
गोधन न्याय योजना का असर रोका छेका अभियान पर भी पड़ा हैं। जिला मुख्यालय के मुख्य मार्गों तथा नेशनल हाईवे पर इन दिनों आवारा पशुओं का झुंड दिखना कम हो गया है। क्योकि शासन के महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजन अंतर्गत बीते 6 माह से 2 रुपये किलो में गोबर खरीदी शुरू हो गई है। जिसके चलते आवारा पशुओं के मालिक अपने पशुओं को ढूंढ निकाल कर उनका पालन पोषण करने में लगे है। पशुओं के गोबर से लोगो को काफी आमदनी होने लगी है। अब तक 2 करोड़ 70 लाख 36 हजार रुपये के गोबर की खरीदी की गई है। जिले के अधिकांश ग्रामीण व निकाय क्षेत्रों में पशुपालक शासन की इस योजना का जमकर फायदा उठाते हुए गोबर पर ही निर्भर होकर पशुओं से मिलने वाली गोबर को अपने क्षेत्र अंतर्गत बने गौठानो में महिला समूह को बेच रहे है। जिले के महिला समूह द्वारा अब तक 1 लाख 35 हजार 180 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। वही गोबर बिक्री करने वाले हितग्राही लाखो रुपये की कमाई कमाई कर चुके है साथ ही आत्मनिर्भर होकर परिवार का रोजी रोटी भी इसी के माध्यम से कर रहे है।

जिले के 158 गौठानो में बन रहा वर्मी खाद:
गोधन न्याय योजना के तहत जिले के 158 गौठानो में गोबर की खरीदी महिला स्व सहायता समूह के द्वारा की जा रही है। स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हुलसी निषाद ने गोबर खरीदी से लेकर उसे खाद बनाने तक कि प्रकिया को बताते हुए कहा कि किसानों से खरीदा गया गोबर को खरीदी केंद्र में 20-25 दिनों तक रखते हैं। इसके बाद गोबर का वर्मी खाद बनाने के लये वर्मी बैड या पक्का टांका में गोबर के साथ केचुआ मिला कर करीब 20 दिनों तक रखते है। इस तरह वर्मी खाद बनाने के लिए तकरीबन 45 दिनों का समय लगता है। इसके बाद यह खाद बन कर तैयार हो जाता है। इस तरह तैयार खाद को प्रत्येक बोरे में 30 किलो ग्राम के अनुसार भर कर रखते है और उसे विक्रय करते है। जिले के गौठानो में गौधन न्याय योजना अंतर्गत अब तक 2500 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार हो चुका है। वही 975 क्विंटल से अधिक गोबर का विक्रय समूह के माध्यम से किया जा चुका है।

गोधन न्याय योजना से किसान पशुपालन की ओर अग्रसित हो रहे हैं: लोकेश चंद्राकर
जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारा लक्ष्य सभी ग्राम पंचायतों में गौठान निर्मित करने का है। वर्तमान में हमारे 191 गौठान पूर्ण हो चुके हैं। जिसमें 158 गौठानो में गोधन न्याय योजना प्रारंभ है। इसमें 1 लाख 35 हजार 180 क्विंटल की अभी तक खरीदी की गई है। जिसकी राशि 2 करोड़ 70 लाख रुपए हैं। जिसमें से 2 करोड़ 25 लाख रुपए किसानों के खाते में चले गए हैं। अभी वर्तमान में 6 हज़ार 517 किसान लाभान्वित हो रहे हैं। श्री चंद्राकर ने आगे बताया कि ग्रामीण परिवेश के लिए यह योजना बहुत अच्छी है। इससे पशुपालन की ओर किसान अग्रसित हो रहे हैं।चारा का सही उपयोग सुनिश्चित हो पा रहा है। समूह की महिलाएं भी इस योजना से जुड़ी हैं। महिलाओं के आजीविका के साधन बना है। महिलाओं के द्वारा वर्मी कंपोस्ट भी निर्मित किया जा रहे हैं। गोमूत्र से फिनाइल व अर्क भी बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के उत्पाद महिला समूह द्वारा तैयार किए जा रहे हैं।