Saturday, April 1, 2023
Ghumti Dunia
  • होम
  • छत्तीसगढ़
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • छत्तीसगढ़
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home सम्पादकीय

निशाने पर पीटीआई और कुछ संजीदा सवाल…

admin by admin
June 29, 2020
in सम्पादकीय
वर्क फ्राॅम होम’ के बाद अब ‘डिजीटल खानाबदोशी’ का दौर…
Share on WhatsappShare on Facebook

अजय बोकिल

संयोग ही कहें कि तीन दिन पहले जब हम देश में  आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतं‍त्र को कुचलने के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई के तराने सुन रहे थे, उसी बीच यह खबर आई कि देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी पीटीआई को ‘देशद्रोही’ बताते हुए मोदी सरकार ने नोटिस थमा दिया है। सरकारी दूरदर्शन और आकाशवाणी को नियंत्रित करने वाली ‘स्वायत्त’ संस्था प्रसार भारती ने कहा कि वह पीटीआई से सारे रिश्ते खत्म करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसमें सरकारी आर्थिक मदद भी शामिल है। उधर पीटीआई के मुताबिक उसे नोटिस मिल गया है। इसके अध्ययन के बाद वह समुचित जवाब देगी। कुछ लोग इस घटनाक्रम को देश में ‘अघोषित आपातकाल’ से जोड़ कर देख रहे हैं तो कई का मानना है कि पीटीआई ने वर्तमान परिस्थितियों में जो किया, वह राष्ट्रीय हितों के प्रतिकूल और प्रकारांतर से देश के प्रधानमंत्री असत्य ठहराने की कोशिश है।

खबरें और भी

चैत्र नवरात्र पर मां जतमाई मे हर साल लगता है दर्शनार्थियों का दरबार…

पुस्तक चर्चा: काशी काबा दोनों पूरब में हैं जहां से

पुलवामा अटैक – 14 फरवरी 2019 एक ऐसा काला दिवस जिसमे देश के 40 जवान हो गए थे शाहिद…

देश में आम लोगों को समाचार एजेंसियों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती। ये एजेंसियां खबरों का कारोबार करती हैं। देश-दुनिया से समाचार एकत्र कर उन्हें मीडिया संस्थानों को उपलब्ध कराती हैं। अखबार, टीवी, रेडियो आदि इन समाचार एजेंसियों का ‘चेहरा’ होते हैं। समाचार मुहैया कराने की ऐवज में इन एजेंसियों निश्चित शुल्क का भुगतान किया जाता है। हमारे देश में कई न्यूज ए‍जेंसियां हैं, लेकिन सबसे बड़ी और पुरानी न्यूज एजेंसी पीटीआई ( प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया) ही है। इसकी स्थापना देश आजाद होने के 12 दिन बाद ही में पहली भारतीय समाचार एजेंसी के रूप में 1947 में हुई थी। इसके संचालक मंडल में देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के संचालक होते हैं। पीटीआई एक अनलिस्टेड कंपनी है, जिसका सालाना राजस्व 172 करोड़ रू. से अधिक है। इस में पत्रकारों सहित करीब 1 हजार कर्मचारी काम करते हैं और रोजाना 2 हजार समाचार कथाएं और 200 फोटो ग्राफ मुहैया कराए जाते हैं। पीटीआई के विदेशों में भी संवाददाता हैं तथा कई विदेशी संवाद एजेंसियों से उसका समझौता है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।

पीटीआई अपने कार्य शैली व खबरों  को लेकर पहले भी निशाने पर रही है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर लगता है। ताजा विवाद की जड़ में दो राजदूतों के इंटरव्यू हैं। पिछले हफ्ते पीटीआई ने भारत में चीन के राजदूत सुन वी दोंग का साक्षात्कार लिया था। इसमे सुन ने गलवान ‍घाटी हिंसक संघर्ष के लिए भारत को ही पूरी तरह जिम्मेदार ठहरा दिया। लेकिन पीटीआई ने ( संभवत: दबाव में) ने यह इंटरव्यू पूरा जारी नहीं किया। जबकि चीनी दूतावास ने इसे संक्षिप्त रूप में अपनी वेबसाइट पर डाल दिया। इस इंटरव्यू से खलबली मची। हमारे विदेश मंत्रालय ने उसका जवाब भी दिया। तभी पीटीआई के बीजिंग संवाददाता ने चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्त्री का भी इंटरव्यू किया। मिस्त्री के हवाले से पीटीआई ने ट्वीट किया कि ‘चीनी सेना को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपनी सीमा में लौटने की जरूरत है। चीन को एलएसी के भारतीय हिस्से की ओर अतिक्रमण के प्रयास और संरचनाओं को खड़ा करने की कोशिश को रोकना होगा। पीटीआई के मुताबिक मिस्त्री ने यह भी कहा कि एलएसी पर सैन्य तनाव घटाने का केवल एक ही समाधान है और वो ये कि चीन नई संरचनाएं बनाना रोक दे।’ हालांकि यह ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया गया।

इस इंटरव्यू पर बवाल मचना स्वाभाविक था। क्योंकि यह चीन में भारतीय राजदूत का अधिकृत बयान था। भारत सरकार ने भी सीधे तौर पर इसका खंडन नहीं किया। हो सकता है मिस्त्री सच बोल रहे हों, लेकिन उनका यह साक्षात्कार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उसे स्टैंड को खारिज करने वाला और भारत सरकार को शर्मिंदगी में डालने वाला था, जिसमें मोदी ने सर्वदलीय बैठक में साफ कहा था कि हमारी सीमा में कोई घुसपैठ नहीं हुई। यही नहीं रविवार को ‘मन की बात’ में भी उन्होंने चीन का नाम लिए बगैर सिर्फ इतना कहा कि हम मित्रता करना भी जानते हैं और आंख में आंख में डालकर जवाब देना भी जानते हैं।

दरअसल दोनो राजदूतों के ये इंटरव्यू चीन विवाद पर भारत सरकार के स्टैंड को चुनौती देने वाले थे। क्योंकि अभी तक हम  गलवान घाटी संघर्ष के लिए अनाधिकृत रूप से चीन को ही दोषी ठहराते आ रहे हैं और अधिकृत तौर पर यह कह रहे हैं कि चीन ने हमारे इलाके में कोई घुसपैठ नहीं की। यह संजीदा सवाल भी ‘देशद्रोह’ की श्रेणी में है कि जब कोई सेना किसी देश की सीमा में घुसी ही नहीं तो हमारे बीस जवान क्यों, कैसे और कहां शहीद हो गए ?

लगता है किसी दबाव में पीटीआई ने चीनी राजदूत का इंटरव्यू पूरा जारी नहीं किया। लेकिन तब तक चीन का मकसद पूरा हो चुका था। वह यह कहने सकने की स्थिति में था कि भारतीय एजेंसियां ही कह रही है कि हम कहीं से गलत नहीं है। शायद  इसी को ‘बैलेंस’ करने के लिए चीन में भारतीय राजदूत मिस्त्री से विस्तृत इंटरव्यू किया गया। लेकिन इसने भारत सरकार को और मुश्किल में डाल दिया। इससे भड़की ‘प्रसार भारती’ ने पीटीआई को देशद्रोही’ करार देते हुए, उससे सारे सम्बन्ध तोड़ने की चेतावनी दे दी है। वैसे सरकार यह भी चाहती रही है कि पीटीआई पर उसका किसी रूप में नियंत्रण रहे। 2016 में एजेंसी के तत्कालीन प्रधान संपादक के रिटायर होने पर मोदी सरकार ने संचालक मंडल में एक आधिकारिक नामित सदस्य रखने को कहा था। बताया जाता है कि ‘प्रसार भारती’ पीटीआई को सालाना 6.75 करोड़ रू. का चंदा देती है। मुमकिन है कि सरकार ये मदद बंद कर दे। सरकार यह भी चाहती है कि पीटीआई अपने काम में ज्यादा ‘पारदर्शिता’ लाए। पीटीआई की आय के स्रोत क्या हैं, वह मीडिया संस्थानो से कितनी फीस वसूलती है, इसके चिट्ठे भी खुल सकते हैं। इसके अलावा एजेंसी पर खबरो को तोड़ मरोड़ कर पेश करने के भी आरोप लगते रहे हैं, खासकर भाजपा सरकारों के संदर्भ में। ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आम तौर पर न्यूज एजेंसियों की खबरों को ‘विश्वसनीय’ माना जाता है।

प्रसार भारती का मानना है कि गलवान घाटी जैसे संवेदनशील और दिवपक्षीय मामले में पीटीआई का आचरण देश की एकता-अखंडता के प्रतिकूल और पत्रकारीय नैतिकता के भी खिलाफ है। यूं भी जब भारत और चीन के सम्बन्‍ध अब तक के सबसे खराब स्तर पर हैं, तब पीटीआई द्वारा चीनी राजदूत का इंटरव्यू करने की क्या जरूरत थी? क्या यह किसी के इशारे पर किया गया था या इसके पीछे कोई और नीयत थी? क्योंकि शत्रु देश का पक्ष भारत में रखवाने का औचित्य समझना मुश्किल है और वह भी किसी भारतीय एजेंसी द्वारा। बेशक स्वस्थ और संतुलित पत्रकारिता का तकाजा है कि किसी घटना के दोनो पक्षों को लोगों तक पहुंचाया जाए। लेकिन इस संदर्भ में यह बात गले उतरने वाली नहीं है कि पहले विवादित दुश्मन का पक्ष लेकर‍ फिर राष्ट्र हित के मददेनजर अपना पक्ष रखा जाए। सवाल यह भी उठ रहा है कि पीटीआई को चीनी राजदूत से इंटरव्यू करने की क्या जरूरत थी? क्यों‍कि चीन का स्टैंड तो पूरे मामले में बहुत साफ है। इसमें संदेह नहीं  कि यह मामला केवल अभिव्यक्ति की आजादी तक सीमित नहीं है। यह हमारे राष्ट्रीय हितो और उसके  अनुरूप आचरण से भी जुड़ा है।

यह विडंबना ही है कि जिस पीटीआई न्यूज एजेसी की स्थापना की स्वर्ण जयंती पर 21 साल पहले  तत्कालीन अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने सम्मान स्वरूप का 15 रू. का डा‍क टिकट  जारी किया था, आज उसी पार्टी की मोदी सरकार पीटीआई की मुश्कें कसने की तैयारी में है। हालांकि इस देश में समाचार एजेंसियों पर प्रतिबंध की बात नई नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी भारत में ब्रिटिश संवाद एजेंसी बीबीसी पर देश में यह कहकर प्रतिबंध लगा दिया था, उसकी रिपोर्टिंग पक्षपाती और भारत की छवि खराब करने वाली है। तो क्या वैसा ही फिर होने जा रहा है? 0:16

 

Previous Post

संपादकीय

Next Post

सोनाक्षी सिन्हा ने कहा ट्विटर को अलविदा

admin

admin

Related Posts

चैत्र नवरात्र पर मां जतमाई मे हर साल लगता है दर्शनार्थियों का दरबार…
छत्तीसगढ़

चैत्र नवरात्र पर मां जतमाई मे हर साल लगता है दर्शनार्थियों का दरबार…

by Niharika Shrivastava
March 22, 2023
पुस्तक चर्चा: काशी काबा दोनों पूरब में हैं जहां से
मुख्य समाचार

पुस्तक चर्चा: काशी काबा दोनों पूरब में हैं जहां से

by Niharika Shrivastava
February 19, 2023
पुलवामा अटैक – 14 फरवरी 2019 एक ऐसा काला दिवस जिसमे देश के 40 जवान हो गए थे शाहिद…
छत्तीसगढ़

पुलवामा अटैक – 14 फरवरी 2019 एक ऐसा काला दिवस जिसमे देश के 40 जवान हो गए थे शाहिद…

by Niharika Shrivastava
February 14, 2023
जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर सुप्रीम कोर्ट का दूरगामी परिणाम वाला अहम फैसला
सम्पादकीय

जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर सुप्रीम कोर्ट का दूरगामी परिणाम वाला अहम फैसला

by Niharika Shrivastava
January 28, 2023
केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल के बारे में क्या सोच रही है ?
सम्पादकीय

केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल के बारे में क्या सोच रही है ?

by Niharika Shrivastava
December 29, 2022
Next Post
सोनाक्षी सिन्हा ने कहा ट्विटर को अलविदा

सोनाक्षी सिन्हा ने कहा ट्विटर को अलविदा

बॉलीवुड ने मुझे काफी अच्छे से अपनाया : उर्वशी रौतेला

श्रीकृष्ण ने किसे दिया था योग का अद्भुत ज्ञान

श्रीकृष्ण ने किसे दिया था योग का अद्भुत ज्ञान

संपर्क

Ghumti Dunia

Editor - Sunil Yadav

Mob No. - 8962721985

ये भी पढ़ें

ऑस्ट्रेलिया टीम को दोहरा झटका, आईसीसी ने धीमी ओवर गति के लिए दी सजा

ऑस्ट्रेलिया टीम को दोहरा झटका, आईसीसी ने धीमी ओवर गति के लिए दी सजा

December 29, 2020
आरटीओ चेक पोस्ट में वाहन चालक से हुई मारपीट, चिचोला पुलिस चौकी में हुई लिखित शिकायत

आरटीओ चेक पोस्ट में वाहन चालक से हुई मारपीट, चिचोला पुलिस चौकी में हुई लिखित शिकायत

May 24, 2021

कैटेगरी

खबरें और भी

रामनवमीं में हिंदू भाइयों द्वारा निकाली गई शोभायात्रा पर भाईचारा व एकता का परिचय देते हुए मुस्लिम समाज ने किया इस्तकबाल
छत्तीसगढ़

रामनवमीं में हिंदू भाइयों द्वारा निकाली गई शोभायात्रा पर भाईचारा व एकता का परिचय देते हुए मुस्लिम समाज ने किया इस्तकबाल

March 31, 2023
रामनवमी के अवसर पर विवेकरंजन श्रीवास्तव ने किया पुस्तक मित्र लाइब्रेरी का शुभारंभ
देश-विदेश

रामनवमी के अवसर पर विवेकरंजन श्रीवास्तव ने किया पुस्तक मित्र लाइब्रेरी का शुभारंभ

March 30, 2023
वन मंत्री ने 118 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत स्वीकृति पत्र किया वितरण
छत्तीसगढ़

वन मंत्री ने 118 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत स्वीकृति पत्र किया वितरण

March 29, 2023
प्रदेश में महिला स्वरोजगार और सुपोषण को बढ़ावा देने एक और मिलेट कैफे का संचालन शुरू
छत्तीसगढ़

प्रदेश में महिला स्वरोजगार और सुपोषण को बढ़ावा देने एक और मिलेट कैफे का संचालन शुरू

March 29, 2023
मुख्यमंत्री मितान योजना: मितान ने 67 हजार लोगों के घर पहुंचाए शासकीय दस्तावेज
छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री मितान योजना: मितान ने 67 हजार लोगों के घर पहुंचाए शासकीय दस्तावेज

March 29, 2023
जनसेवक आफताब आलम ने उत्तरप्रदेश के एडीजीपी प्रकाश डी से देशहित व जनहित के विषयों को लेकर की मुलाकात…
छत्तीसगढ़

जनसेवक आफताब आलम ने उत्तरप्रदेश के एडीजीपी प्रकाश डी से देशहित व जनहित के विषयों को लेकर की मुलाकात…

March 26, 2023

© 2020 Ghumti Dunia

No Result
View All Result
  • होम
  • छत्तीसगढ़
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • स्वास्थ्य

© 2020 Ghumti Dunia